Acts and Rules

सर्वोदय इंटर कॉलेज जयंती एलुमनाई एसोसिएशन (एस.आई.सी.जे.ए.ए.) के गठन की पृष्ठ भूमि वास्तव में बहुत ही भावनात्मक और प्रेरणादायक है। यह विद्यालय 1928 में स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, सालम केशरी आदरणीय श्री राम सिंह धौनी जी द्वारा एक मिडिल स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था। सालम के क्रान्तिकारी आंदोलन से जुड़े इस स्कूल ने अपने अस्तित्व के पहले ही चरण से देश की स्वतंत्रता और जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्ष 1951 में, सालम क्रान्ति के अग्रणी नेता, पण्डित दुर्गादत्त शास्त्री जी द्वारा इस विद्यालय को उच्चीकृत किया गया, जिसके बाद यह केवल एक स्कूल न रहकर क्रांतिकारियों की नर्सरी बन गया। सालम का हर गाँव, इस विद्यामंदिर के क्रांतिकारी योगदान के कारण वीरों की जन्मभूमि के रूप में उभर कर सामने आया।

इस विद्यालय के संस्थापक और प्रथम प्रधानाचार्य, परम श्रद्धेय श्री देवीदत्त गुरुरानी जी के अथक प्रयासों और समर्पण ने इसे 1970 से 1980 के दशक में जिले के प्रमुख विद्यालयों में स्थापित किया। यह विद्यालय शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक प्रतिष्ठित हुआ और जिले के शिरमौर विद्यालयों में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई। हालांकि, 21वीं सदी के प्रारंभ से ही प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण विद्यालय का पतन शुरू हो गया। अशासकीय विद्यालय होने के कारण, इसे सरकार से वेतन के अलावा किसी भी प्रकार का आर्थिक अनुदान प्राप्त नहीं होता था। इस वजह से विद्यालय के भवनों का रखरखाव नहीं हो पाया और वे धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण होने लगे। इस स्थिति में, एस.आई.सी.जे.ए.ए. की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, जो इस गौरवशाली विद्यालय की पुरानी प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित करने का प्रयास कर रही है।

9 सितंबर, 2023 को सर्वोदय इंटर कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर, इसके पूर्व छात्रों ने विद्यालय की जर्जर स्थिति से प्रभावित होकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने “सर्वोदय इंटर कॉलेज जयंती एलुमनाई एसोशिएशन” (सिकजा) के गठन का निर्णय लिया। इसके बाद, लगभग तीन महीने के भीतर, 15 दिसंबर 2023 को इस एसोशिएशन का गठन किया गया और इसे सोसाइटी एक्ट, 1860 के तहत पंजीकृत कर लिया गया। तदोपरांत, सिकजा को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 12A के तहत भी पंजीकृत किया गया, जिससे यह एक औपचारिक गैर-लाभकारी संगठन बन गया। इतना ही नहीं, इसे भारत सरकार के नीति आयोग के दर्पण एन.जी.ओ पोर्टल पर भी पंजीकृत कर दिया गया, जिससे यह संगठन सरकारी मान्यता प्राप्त हो गया।

एसोशिएशन ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80G के तहत भी रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है, जिसके पूरा होते ही दानदाताओं को उनके योगदान पर आयकर में छूट प्राप्त हो सकेगी। यह कदम न केवल दानदाताओं के लिए प्रोत्साहन का कार्य करेगा, बल्कि विद्यालय के पुनरुद्धार और भविष्य के विकास के लिए भी आवश्यक संसाधनों को जुटाने में मददगार साबित होगा। सिकजा की ओर से सभी हितधारकों से अपील की गई है कि वे इस जनहित कार्य में अधिकतम सहयोग दें, ताकि इस अभियान को अल्मोड़ा जिले के अन्य क्षेत्रों तक विस्तारित किया जा सके और विद्यालय की पुरानी प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जा सके।

    सर्वोदय का नव आलोक

(एस.आई.सी.जे.ए.ए. की भावनाओं पर आधारित)

स्वतंत्रता की ज्वाला में, प्रज्वलित हुआ जो दीप था,
सालम के वीरों का वह स्वप्न, नन्हा बीज सजीव था।
राम सिंह धौनी जी का प्रण, एक मिडिल स्कूल बना,
जिसने क्रान्ति की राह चुनी, स्वतंत्रता की ज्योति तना।

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पण्डित शास्त्री जी ने बढ़ाया, इस विद्या मन्दिर का मान,
1951
में किया उच्चीकरण, दिया क्रांतिकारियों का सम्मान।
हर गाँव बना वीरों की भूमि, हर कदम में क्रांति की लहर,
सालम के इस मन्दिर ने भरी, स्वतंत्रता की एक नई डगर।

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श्री देवीदत्त गुरुरानी जी ने, दिए थे अपने प्रखर प्रयास,
1970-80
के दशक में, बढ़ाया विद्यालय का आभास।
जिला हुआ इस गौरव से धन्य, यह बना शिक्षा का स्तंभ,
पर प्रशासन की अनदेखी में, कर दिया इसे बहुत स्तब्ध।

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21वीं सदी के साथ जब आई, दुर्भाग्य की नई कहानियाँ,
अशासकीय होने के कारण, ठहर गईं विकास की धारणाएँ।
विद्यालय के भवन हुए जीर्ण-शीर्ण, पर न थमा हमारा यत्न,
सिकजा ने थामा हाथ, पुनः जगाया विद्यालय का स्वप्न।

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9 सितंबर, 23 को जोश भरा, पूर्व छात्रों ने ठानी बात,
सर्वोदय का पुनर्निर्माण करेंगे, देंगे इसे नई सौगात।
15
दिसंबर को बना संगठन, 12A से मिला अधिकार,
नीति आयोग में नाम दर्ज, अब विकास है साकार।

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80G से बढ़ेगी मदद, अब दानदाताओं को मिलेगी छूट,
सहयोग से होगा पुनः खड़ा, विद्यालय का यह अद्भुत वृत्त।
सिकजा की है अपील यही, सब मिलकर दें अब योगदान,
फैले यह अभियान हर ओर, पुनः हो सर्वोदय का सम्मान।

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आओ मिलकर जलाएं दीप, फिर से हो नव आलोक,

सर्वोदय के आंगन में, लौटे ज्ञान का विमल श्लोक।

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