About SIC Jayanti

माँ शारदा"
विद्यामन्दिर की आवाज


मैं हूँ वो विद्या का मंदिर, माँ शारदा का आँगन है प्यारा,

जहाँ तुमने सीखे थे, अपने जीवन के मूलमंत्र और संस्कार।

जर्जर अवस्था में हूँ आज, पर यादें अब भी हैं ताजा,

कभी तुमने गाया था यहाँ, सफलता का हर एक रागा।

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वक्त की मार से हूँ टूटा, मेरी दीवारें अब भी खड़ी हैं,

तुम्हारे ही कदमों की गूँज, आज मुझे आया करती  हैं।

तुम्हारी हँसी, तुम्हारे सपने, यहाँ  गूँजते थे रोज,

आज उन्हीं यादों को संजोए, मैं खड़ा हूँ मौन रोज।

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यहाँ आज भी स्मृतियाँ हैं बसी, तुम्हारे हँसी-खुशी के पल,

परिस्थिति आज विकट है, मुझे भी दे दो जीवन के कुछ पल।

आज मैं जर्जर हालत में हूँ, अब सहारा चाहिए तुम्हारा,

तुम्हारी ही मेहनत से, फिर से चमक सकता हूँ सारा।

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भूल गए क्या वो दिन,जब तुमने पाया था यहाँ ज्ञान,

वो संग्राम, वो संघर्ष और माँ शारदा का वरदान।

मैं अब भी खड़ा हूँ यहाँ, नित तुम्हारी राह ताकते हुए,

हर ईंट, हर कण, तुम्हारी सफलता की गाथा गाते हुए।

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मेरा आँगन अब सूना है, लेकिन फिर भी उम्मीद हैं बाकी,

तुम्हारे सहयोग से फिर से सजूँगा, जैसे थी पहली झांकी।

आओ, फिर से एक बार, सब मिलकर मेरा संवार करो,

अपनी विद्या की इस भूमि को, नई ऊँचाई का उपहार करो।

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तुम्हारी छोटी सी मदद भी, बड़ा परिवर्तन ला सकती है,

फिर से मेरे आँगन में, ज्ञान ज्योति जगमग हो सकती है।

तुम्हारे जीवन में आज रोज, जो भी चमक रही रोशनी है ,

उसके हर किरण में बसी है, इस मंदिर की ही कहानी है।

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माँ शारदा का आशीर्वाद है और नित सदा रहेगा साथ तुम्हारे,

बस एक बार लौट आओ, इस मन्दिर को फिर संवारने प्यारे।

आज मेरा स्वरूप है धूमिल, लेकिन मेरी उम्मीदें अब भी हैं,

तुम्हारी आर्थिक मदद से, फिर मेरा  नव निर्माण हो सकता है।

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अब हूँ मैं अपनी चौथी अवस्था में, आशा अपने पूर्व छात्रों से है,

अब नव जीवन मिलेगा मुझे, जो बीड़ा तुम सबने जो उठाया है।

मेरी नि:शब्द आवाज सुनो, ओ मेरे प्रिय छात्र और भक्त,

समय की मार ने मुझे किया है, अब बहुत ही जर्जर और तंग।

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तुम्हारी हँसी की गूँज यहाँ, अब भी मुझमें जीवित है,

हर एक कोना, हर एक दीवार, तुम्हारी यादों से सजित है।

वो दिन, जब तुमने पाया था यहाँ ज्ञान का अनमोल खजाना,

अब भी मेरी धरोहर में बसा है, वो हर सपना, हर अफसाना।

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पर अब मैं नित टूट रहा हूँ, आशा है तुम्हारे सहयोग की चाह में,

नि:शब्द होकर भी मैं, पुकार रहा हूँ, तुम्हें इस कठिन राह में।

सभी एक माला में पिरोए मोती, बनेंगे मेरे नवनिर्माण का आधार,

तुम्हारी छोटी सी मदद से, फिर से सजूँगा मैं,यह है मेरा अधिकार।

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माँ शारदा का आशीर्वाद, हर कदम पर है तुम्हारे साथ,

इस पुण्य कार्य में जुटकर, दिखाओ अपने सच्चे हाथ।

सभी, मिलकर करें प्रयास, फिर से मुझे नवजीवन दें,

इस विद्या के मंदिर को, फिर से नई ऊँचाई पर ले चलें।

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मेरी नि:शब्द पुकार को सुनो, और अपना सहयोग दिखाओ,

इस पुण्य  कार्य में साथ आकर, माँ शारदा का मान बढ़ाओ।

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✍️ योगेश गहतोड़ी

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मैं हूँ सर्वोदय इंटर कालेज जयन्ती

PURPOSE OF EDUCATION (STUDENTS VIEWPOINT) AT A GLANCE